मैं, मैं हूँ, मैं ही रहूँगी

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कवयित्री बीनू भटनागर ------------------------------ कई बार प्रश्न उठता है कि आखिर कोई कविता क्यों लिखता है ? सच कहूँ तो 12 वर्ष की उम्र से लिखना शुरू करने के बावजूद मेरे मन में कई बार इस प्रकार की संदिग्धता उत्पन्न हुई है कि आखिर मैं लिख क्यों रही हूँ ? देखा जाए तो इस प्रश्न का उत्तर जितना सरल है, उतना ही कठिन भी है | संभवत: जब अपने चारों ओर देखकर एक संवेदनशील मन असह्य वेदना महसूस करने लगता है तब उसकी कलम रुक नहीं पाती | ये संवेदनाएँ केवल कवि की ही नहीं होतीं, ये उससे जुड़े उन