मधुशाला के बारे में कुछ चिंतन

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----------------------- भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला,कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ!पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला। 1935 में इस काव्य की रचना हुई | सर्व विदित है कि मधुशाला प्रतीकात्मक रूप में लिखी गई है।सबसे पहले इसी विषय पर उम्र ख़ैयाम की रुबाइयों की रचना समक्ष आई जिसका अंगेज़ी में फ़िटजेरॉल्ड ने अँग्रेज़ी में अनुवाद किया | बच्चन जी ने पहले इन रचनाओं का अनुवाद किया और इनके भौतिक प्रतिमाओं और प्रतीकों ने उनका ध्यान अपनी और खींचा | उन्‍होंने अपनी आत्‍मकथा में स्‍वीकारा भी