उजाले की ओर –संस्मरण

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मित्रो स्नेहिल नमस्कार हम सब जानते हैं परिस्थितियाँ कभी एक सी नहीं रहतीं। उनमें बदलाव आना स्वाभाविक है, न आए तब आश्चर्य की बात है। और कभी कभी तो दोस्तों ऐसा अचानक बदलाव आ जाता है कि हम हकबक रह जाते हैं। यानि अलग-अलग समय पर अलग-अलग बदलाव आते हैं और मज़े की बात यह कि एक ही बात का प्रभाव सब पर अलग प्रकार से पड़ता है। हम कभी एक तरीके से टूटते हैं तो कभी वैसी ही परिस्थिति से आराम से निकल जाते हैं। फिर कभी बिना किसी गलत प्रभाव के खड़े भी हो जाते हैं या नहीं