विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 9

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विश्वास (भाग -9)"सरला जी, एक प्लेट में खाना लगा कर भुवन बेटे को भी वहीं दे देते हैं ,वो भी खा लेगा"। उमा जी ने कहा तो सरला ने भी कहा "हाँ ये ठीक रहेगा, मैं दे आती हुँ"। सरला भुवन को खाना दे कर आयी तो उन लोगों ने भी खाना खा लिया।"बहन जी खाना बहुत अच्छा था, धन्यवाद आपने इस अनजान शहर में इतना अपनापन और सम्मान दिया, शुक्रिया बहुत छोटा शब्द है पर बहुत बहुत आभार आपका"। सरला के ऐसा कहने पर उमा जी ने उन्हें अपने गले लगा लिया। "सरला तुम मुझे अपनी बड़ी बहन समझो।