सोई तकदीर की मलिकाएँ 25 चारों जन सिर जोङ कर बैठे । सलाह यही बनी कि जैसे भी हो , आज ही यह काम निपटा देना है । कल का क्या भरोसा । बात बिगङने में मिनट लगते हैं । सौ सज्जन तो दो सौ दुश्मन होते हैं । क्या पता , कौन बनी बनायी बात बिगाङने जाय । इसलिए जो होना है , आज ही हो जाय । फैससला होते ही शऱण सिंह तुरंत गुरद्वारे चल पङा । वहाँ उसने भाई जी से दो घंटे बाद आंनंदकारज कराने का आग्रह किया । भाई जी को