'अल्का' नाम सुनकर शुभांगी को ज़्यादा हैरानी नहीं हुई क्योंकि कहीं न कहीं वो समझ गई थी कि उसकी माँ इस कहानी की मुख्य किरदार नहीं है, मगर फ़िर भी इस सच को सुनकर उसे सदमा लगा । क्या सचमुच वह किसी पुरुष के कदम बहकने का नतीज़ा है । उसकी आँखों में पानी देखकर सुधीर बोले, "तुम्हें उदास होने की ज़रूरत नहीं है । तुम्हारा जन्म तो विधाता की होनी है ।" शुभु कुछ नहीं बोली । कुछ देर तक कमरे में सन्नाटा रहा। फ़िर सुधीर ने शुभु की तरफ दोबारा देखा तो उसने हाँ में अपनी