गोली की आवाज चारो तरफ गूंजी.... कुछ पल के लिए संजना और अनिरुद्ध की आंखे डर की वजह से बंध हो चुकी थी...संजना और अनिरुद्ध ने अपनी आंखें खोली...दोनो अपनी जगह सही सलामत थे... मोहित और किंजल भी गोली की आवाज सुनकर डर गए थे... सबकी शक्ल ऐसी देखकर मोनाली हसने लगी..." इस बार तो मैने जान बूझकर गोली निशाने पर नही छोड़ी... ये जो डर अभी तुम लोगो की शक्ल पर है उसे में देखना चाहती थी...." अनिरूद्ध : बस करो मोनाली ... कब से हम तुम्हे सहे जा रहे है पर अब नही... मोनाली : हा तो मैंने