सुबह जल्दी उठ कर, नौ बजे तक वे लोग बलौदा बाजार पहुँच गए। भरत ने उन्हें बस में बिठा दिया था। वह भी जल्द उठ गया था, क्योंकि उसे भी अपनी ड्यूटी पर भिलाई पहुँचना था। बच्चों की तो परीक्षा निबट गई थीं सो छुट्टियाँ चल रही थीं। पर आरती को तो देर से ही सही ऑफिस जाना था और फिर फील्ड पर भी। सो, बच्चों को घर छोड़ स्कूटी उठा वह रवान पहुँच गई। रात में नींद पूरी नहीं हुई थी। दिन भर उबासियाँ आती रहीं। सिर दर्द से फटता रहा। पर वह बहुत मजबूत इरादे वाली औरत