सात-आठ दिन शांति से कट गए। इस बीच वाट्सएप पर रोज सुबह भरत जी की ओर से जिन्हें तमाम कोशिश के बावजूद वह मामा जी नहीं कह पाई, सर जी और जी सर ही बोलती, फूलों का गुलदस्ता आ जाता। जानबूझ कर काफी देर बाद वह गुडमार्निंग सर बोलती। लेकिन रात में फिर सोने से पहले गुड नाइट आ जाती और जुड़े हुए गेहुँआ हाथ तो वह गुडनाइट सर लिख कर छुट्टी पा लेती। लेकिन जब मैनेजमेन्ट ने उसे बताया कि मुम्बई से विजिटिंग अफसर दौरे पर आ रहे हैं, वे आपके फील्ड का भी दौरा करेंगे तो फिर