अपंग - 73

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73 ---- कोठी के हर कोने से जैसे महक उठ रही थी | रसोईघर से महक, कमरों में लाखीो के द्वारा घर के बगीचे तोड़कर लाए गए फूलों के बनाए गए, सजाए गए गुलदस्तों की महक ! तन की महक !मन की महक ! बातों में मुस्कान की महक ! तन में एक-दूसरे की महक ! "लो, तुम्हारी पसंद की सब चीज़ें आ गईं टेबल पर ----" भानु ने मुस्कुराते हुए रिचार्ड से कहा | "ओ माई गॉड ! तुम सब मुझे 'गार्बेज बैग' बना दोगे ---" रिचार्ड ने टेबल को यहाँ से वहाँ तक भरा देखते हुए कहा |