आशा बोलते हुए रुकी।उसने कामिनी की।तरफ देखा।कामिनी ध्यान से उसकी बात सुन रही थी।आशा फिर बोली,"तुम स्वंय एक औरत हो इसलिय औरत के दर्द को अच्छी तरह समझ सकती हो।तुम ऐसा.काम मत करना.जिससे मेरी और मेरे बच्चो की जिनदगी बरबाद हो जाये।आशा अपनी बात कहकर चली गयी थी।कामिनी के दिमाग मे आशा के चले जाने के बाद भी उसकी ही बातें गूंजती रही।कामिनी और शेखर की पहली मुलाकात बस में हुई थी।उस मुलाकात को शायद वे भूल भी जाते अगर उनकी दूसरी मुलाकात जल्दी न होती तो।पहली मुलाकात में ही कामिनी ,शेखर को भा गयी थी।इसलिए दूसरी बार मिलने पर