पता नहीं क्या था ,आखिर ये कोनसा एहसास था की अभिमन्यु पीहू की तरफ खिचा चला जा रहा था, अब तो उसके ,रोज का काम हो चुका था की वो पीहू को सोते हुए देखता फिर सुबह एक के बाद एक काम करते हुए देखता, वो तो मानो जैसे बाकी सब भूल चुका था...... इधर ऑफिस मे राघव पागल हो चुका था, इतने सारे काम थे,उपर से अभिमन्यु गायब था ,भला वो इतने सारे काम अकेले कैसे संभाले! आज christmas का दिन था अभिमन्यु सोचा आज वो पीहू को एक छोटी सा तोहफा देकर उससे sorry कहेगा,उसके बाद उसे घर