आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - अंतिम भाग

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आदर्श ने हकलाते हुए कहा, “गुनहगार… यह तुम क्या कह रही हो श्यामा?” “ठीक ही तो कह रही हूँ आदर्श, अब तक तो मैं अंजान थी लेकिन अब सब जान गई हूँ। मैंने कभी अपने पेशे में बेईमानी नहीं की। ना कभी पैसे के पीछे भागी। तुम पैसा कमा रहे थे मैंने इज़्ज़त कमाई। बच्चों को बहुत ही अच्छे संस्कार दिए। तुम्हारा भी इस शहर के बड़े बिल्डर्स में नाम था, इज़्ज़त थी, दौलत थी, शौहरत थी और मैं थी आदर्श। फिर क्यों तुमने…,” कहते हुए श्यामा रो पड़ी। “तुमने मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुँचाई है आदर्श। तुम मुझसे मेरी