आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 4

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करुणा की बातें सुनकर श्यामा ने कहा, “माँ परंतु मैं तो पढ़ी लिखी हूँ। अपने पैरों पर खड़ी हूँ। मैं क्या करूं? आदर्श ने केवल मुझे ही नहीं तीन लोगों को धोखा दिया है। उस गरीब मज़दूर की इज़्जत छीनी, मेरा स्वाभिमान छीना और उस बच्चे से पिता का नाम छीना। इसके अलावा मेरे परिवार की खुशियाँ भी छीनी। मुझे समझ नहीं आ रहा है माँ, मैं किस रास्ते पर जाऊँ। एक तरफ़ कुआं है तो दूसरी तरफ़ खाई।” “माँ मैं उसे इतना प्यार करती हूँ कि उसे छोड़कर मैं भी कभी ख़ुश नहीं रह पाऊंगी। मैं ऐसे दोराहे पर