मुस्कराते चहरे की हकीकत - 21

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सुबह.....सब लोग पूजा कर रहे थे अवनी भी वही खड़ी थी, उसकी नजरें कब से किसी को ढूंढ रही थी,, वह बार-बार विवान के रूम की तरफ देखती है जो अभी भी बंद था,,, पूजा खत्म होने के बाद अवनी, सुधा जी के पास आकर- दादी, अब मुझे चलना चाहिए, मेरे ऑफिस का टाइम हो रहा है...सुधा जी-तुझे अभी भी ऑफिस जाना है एक बार अपनी तबीयत के बारे में तो सोचो बेटा...,काव्या, अवनी के पास आकर- अवि.. तुम क्यों अपनी लाइफ के साथ रिस्क ले रही हो.... this is the second stage of cancer avvi... रोज कितनी तकलीफ से