सौगन्ध--भाग(१४)

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प्रातः हुई एवं सभी जागे एवं सभी के मध्य वार्तालाप चलने लगा,तभी वार्तालाप के मध्य भूकालेश्वर जी बोलें.... देवव्रत जी ने राजमहल में बसन्तवीर के समक्ष इतना बुरा अभिनय किया था कि किसी भी क्षण लग रहा था कि बस अभी पकड़े...अभी पकड़े,यदि उस समय बसन्तवीर ने पहचान लिया होता ना जाने क्या परिणाम होता,देवव्रत से अच्छा अभिनय तो मैं ही कर लेता हूँ... भूकालेश्वर जी की बात सुनकर सभी हँस पड़े,तब लाभशंकर बोला..... चंचला बनकर मेरी तो बुरी दशा हो रही थीं,ना जाने युवतियाँ कैसें इतना श्रृंगार कर लेतीं हैं.... लेकिन लाभशंकर तुम बहुत सुन्दर लग रहे थे चंचला