जब चंचला देवव्रत के गले लगी तो ये देवव्रत को अच्छा ना लगा और उसने अन्ततः चंचला से कह ही दिया.... कौन हैं आप?एवं ऐसा व्यवहार क्यों रहीं हैं? ओह...पिताश्री!ऐसा प्रतीत होता है आप उस दिन की बात को लेकर अब भी मुझसे क्रोधित हैं,चंचला बोली... किसका....पिता...एवं...कौन सी बात?देवव्रत ने चंचला को स्वयं से दूर करते हुए कहा.... यही कि मैं उस नवयुवक से सरोवर के किनारे मिली थी,परन्तु यह सत्य नहीं है,मेरा तो उस नवयुवक से कोई भी नाता नहीं है,चंचला बोली.... देखो पुत्री!तुम्हें कोई भ्रम हुआ है ,मैं तुम्हारा पिता नहीं हूँ,देवव्रत बोला... पिताश्री!ये आप कैसीं बातें कर