देवव्रत का स्वर सुनकर लाभशंकर बोला.... मनोज्ञा!अब मुझे जाना होगा,कदाचित मामाश्री मुझे पुकार रहे हैं... ठीक है तो अब तुम जा सकते हो,मनोज्ञा बोली... इसके उपरान्त लाभशंकर बाहर आ गया एवं उसकी दृष्टि देवव्रत पर पड़ी ,जो कि अत्यधिक चिन्तित दिखाई दे रहे थे,लाभशंकर ने उनके समीप जाकर पूछा.... क्या हुआ मामाश्री?आप इतने चिन्तित क्यों दिखाई पड़ रहे हैं? पुत्र!हम दोनों को इसी समय राजमहल जाकर रानी वसुन्धरा से मिलना होगा,नहीं तो मैं चिन्ता से मर जाऊँगा,मुझे उनसे ही अपने प्रश्नों के उत्तर मिल सकते हैं,देवव्रत बोलें... किन्तु इस समय राजमहल जाने पर उन्हें कोई आपत्ति तो नहीं होगी,लाभशंकर बोला।।