साँझ हो चुकी थी,अँधेरा गहराने लगा था,झोपड़ी के भीतर शम्भू की पत्नी माया अपने पुत्र लाभशंकर की प्रतीक्षा कर रही थीं,उसने शम्भू से लाभशंकर के विषय में पूछते हुए कहा.... ए..जी!शंकर तुमसे भी कुछ कह कर नहीं गया कि कहाँ जा रहा है? मुझसे तो कुछ भी नहीं बताकर गया,इतनी क्यों विचलित हुई जाती हो पगली?अभी आ जाएगा?जाओ...बाहर जाकर उसके मामा देवव्रत से क्यों नहीं पूछती कि उसका लाड़ला भान्जा कहाँ गया है?शम्भू बोला।। हाँ!उसे देवव्रत भ्राता ने ही बिगाड़ रखा है,मैं उन्हीं से जाकर पूछती हूँ,माया बोली।। और माया झोपड़ी से बाहर आई तो उसने देखा कि देवव्रत उदास