बचपन वाली दीपावली बचपन की दीपावली का मतलब छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली और उसके बाद गंगा स्नान (कार्तिकी) की तैयारी हुआ करता था। धनतेरस और भैया दूज कम से कम हमारे गांव में तो नहीं मनाया जाता था। यह दोनों चोंचले देखादेखी और शायद टेलीविजन के प्रभाव के कारण बाद में शुरू हुए। उन दिनों दीपावली से लगभग 15 दिन पहले से ही इस त्यौहार की तैयारी शुरू हो जाती थी। सबसे पहले घर की पुताई के लिए दुकनहा गांव से बैलगाड़ी में भरकर सफेद मिट्टी लाई जाती थी और उस मिट्टी से घर का पूरा दरवाजा पोता जाता था।