सेहरा में मैं और तू - 13

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( 13 )वैसे तो कबीर और रोहन दोनों की कड़ी मेहनत के अभ्यस्त थे मगर यहां आकर उनका प्रशिक्षण और भी सख्त हो गया था। स्टेडियम के आसपास बड़े शहर की रौनकें बिखरी पड़ी थीं जिन्हें देख कर शुरू शुरू में तो उन दोनों का जी खूब ललचाता। ज़रा सा समय मिले तो ये करें, वो देखें, यहां जाएं, वो लाएं...पर वहां का रूटीन ही इतना कड़ा था कि सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक किसी और बात के लिए समय ही नहीं मिलता था। रात तक इतनी थकान में चूर होते कि बिस्तर पर गिरते ही सोने