सेहरा में मैं और तू - 9

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दिन कोई आराम थोड़े ही करते हैं। जल्दी में तो रहते ही हैं। जल्दी से बीत गए।वो दिन भी आ गया जब अकादमी के लड़कों को यहां से कुछ दूरी पर स्थित महानगर में चयन के लिए जाना था। कड़े अभ्यास और सलेक्शन के बाद आठ लड़कों को इस चयन की पात्रता मिली थी। दोनों प्रशिक्षक भी उनके साथ जा रहे थे। और उनके खाने पीने और दूसरी व्यवस्थाओं के लिए दो सहायक भी।चमचमाती हुई लग्जरी बस गेट पर लगी थी और ऐसी ही चहल - पहल थी जैसे किसी घर के दरवाज़े से बारात जाने के वक्त होती है।