सेहरा में मैं और तू - 6

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ऐसा लगता था जैसे वहां परिसर में रहने वाले सभी लोग इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे हों। रसोई में काम करते हुए लड़के भी सलाद के लिए खीरा और टमाटर काटते हुए चाकू से ऐसा निशाना साधने की कोशिश करते थे मानो उन्हें भी बेहतर चाकू चलाने के पॉइंट्स मिलने वाले हैं।उधर सुबह मैदान में हर लड़का जैसे धनुर्धर अर्जुन ही बन जाता था। दिखाई देती थी तो केवल मछली की आंख। और कुछ नहीं। सबका ध्यान केवल निशाना साधने में सिमट गया था।लेकिन आज दोपहर को एक मज़ेदार घटना घटी। मैस वाला लड़का बड़े साहब को उनके कमरे