भाग 4 ‘‘रॉबर्ट! मानो मैं वहाँ मौजूद था। अक्षरश: सुन और देख रहा था। अगाथा की माँ जो मेरी हम उम्र सहेली थीं, वे मुझे बताती थीं। उनकी आँखों में दर्द का सागर था और अपने घर की आर्थिक मजबूरी। अगाथा कमरे में चुप बैठी थी। दूध का गिलास सामने था। तभी जी़निया और जॉन पीटर कमरे में दाखिल हुए। उसका एक हाथ जी़निया की कमर में था। स्कर्ट और ब्लाउज के बीच की खुली नंगी कमर पर। देखकर सिहर उठी अगाथा और किसी आगत के भय से कांप उठी। जी़निया न जाने किस बात पर खुलकर हँसे जा रही