तुमने कभी प्यार किया था? - 17

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तुमने कभी प्यार किया था?-१७मेरा ध्यान थोड़ा हटा और मन्दिर के सामने उस चबूतरे पर गया जहाँ दो लड़कियां बैठी थीं। निरपेक्ष भाव से प्रकृति का आनन्द ले रही थीं। और उनकी कक्षा के और लड़के जो संख्या में नौ थे दूर दूसरे चबूतरे पर बैठे थे। वे भी प्रकृति का आनन्द ले रहे थे। प्रकृति उस दिन बहुत सुन्दर रूप में खिली थी। धूप गुनगुनी लग रही थी। चाहतें इधर-उधर जा रही थीं। मेरी चाहत भी इन्हीं के बीच उड़ रही थी। उसके पंख कटे नहीं थे। उस सुरम्य स्थान पर वह हिडोले खा रही थी।हम अवतार के रूप