हम तो राष्ट्रवादी तड़का लगाकर हिंदुओ के ऊप्पर फ़िल्म बनायेंगे चाहे फ़िल्म कैसी भी बनें। चाहे कहानी हमारे पास हो या ना हो, लेकिन हम फ़िल्म बनायेंगे। क्यों भाई, आप लोग बीमार हो क्या, जो धार्मिक राष्ट्रवाद के नाम पर कुछ भी दिखाओगे और दर्शक इतने पागल हैं। कि कुछ भी देखेंगे। इससे बेकार फ़िल्म मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखी। कुछ भी चल रहा हैं। फ़िल्म में, कहीं भी एक्शन हो रहा हैं। भाग रहे हैं।, तैर रहे हैं। अरे पहले चार-पाँच लोग बैठकर तय करलो की दिखाना क्या हैं। फ़िल्म देखते वक़्त ऐसा लगेगा जैसे हर सीन अलग