ज़िद्दी इश्क़ - 30

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वोह सोई हुई थी जब सूरज की रौशनी हल्की हल्की उसके चेहरे पर पड़ने से उसकी आंख खुली। उसने करवट लेनी चाही तो किसी चीज़ ने उसे रोज़ दिया। माहेरा ने धीरे से अपनी आंखे खोली तो उसकी नज़र सामने दीवार पर लगी घड़ी पर पड़ी जिसमे सुबह के आठ बज रहे थे। एक नज़र घड़ी पर देखने के बाद उसने अपने साथ लेटे माज़ की तरफ देखा जो उसे बाहों में लिए हुए सुकून से सो रहा था। उसने अपने सूखे होंठो को ज़ुबान से तर किया और उसका हाथ हटा कर उठ गई। उसने साइड टेबल से गिलास