अग्निजा - 61

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प्रकरण-61 बहुत समय बीत गया, पर जीतू कहीं दिखाई ही नहीं दिया। तभी केतकी के कंधे पर पीछे से किसी का प्रेम भरा स्पर्श महसूस किया। उसने पीछे मुड़ कर देखा और खुश हो गई, “उपाध्याय मैडम, आप?” “हां, एक छात्रा से मुलाकात करनी थी, इस लिए यहां आई थी। लेकिन तुम यहां कैसे?” तभी जीतू आ पहुंचा। केतकी ने पहचान कराई, “ये मेरे होने वाले पति...आज ही सगाई हुई है हमारी।” “ऐसा क्या....अरे वाह...बहुत अच्छा...बहुत बधाई और शुभकामनाएं..” “थैंक यू...और ये उपाध्याय मैडम...इन्होंने मेरी बड़ी मदद की है।” “ह्म्म...अच्छा...अच्छा....बहुत अच्छा...चलो अब चलें...नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।” केतकी कुछ