ऐश ने अपने पंखों को कुछ ढीला छोड़ा और झील के किनारे उतरने लगी। उसे काफ़ी देर से भूख भी लगी हुई थी।उसने पहले तो पानी के किनारे से कुछ स्वादिष्ट कीट- पतंगों को चुन कर पेट की आग बुझाई फ़िर वो एक भीगी सी चट्टान पर बैठ गई। उसे आलस्य और नींद ने एक साथ ही घेर लिया। वह पलक झपकते ही नींद के आगोश में थी।आसमान पर सफ़ेद बादलों के छितराए हुए टुकड़े तैर रहे थे जिनके कारण उस पर कभी धूप तो कभी छांव पड़ती। लेकिन झील का पानी ठंडा था इसलिए वातावरण सुहा रहा था।पिछले दिनों