"मेरी डिलीवरी के दिन नज़दीक आ रहे थे, और इसलिए मुझे मेरी मां के घर जाना पड़ा। मेरे पति यानी सुब्रोती भी मेरे साथ ही थे। मेरी मां का घर यहां, मतलब असम में ही था । मैं मेरी मां की इकलौती संतान थी। गर्भावस्था के आख़िरी दिनों में मेरी मां ने ही मेरा ख़्याल रखा। और एक रात मुझे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। संयोग से उस दिन मां घर के लिए राशन लाने शहर गई थी, और तेज़ बारिश की वजह से उन्हें शहर में ही उनकी बहन के घर पर रुकना पड़ा। देर रात मुझे दर्द का आभास