दानी की कहानी - 30

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-------------------- शाम का समय था दानी बरामदे में और बच्चे बागीचे में ,हर रोज़ की तरह से चलो ,आज पड़ौस के पेड़ से चीकू तोड़ेंगे -- बच्चों  में फुसफुसाहट हो रही थी दानी को पता चल गया न तो बस ----- तुम बहुत डरपोक हो --भला दानी को कौन बताएगा ? हम हर बार यही तो सोचकर शरारत करते हैं कि दानी को पता ही नहीं चलेगा -- हाँ--पर होता क्या है ? हर बार  तो दानी को पता चल ही जाता है ये कोई चुगलख़ोर हमारे बीच में ही पल रहा है --- सबसे