हडसन तट का ऐरा गैरा - 36

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रात का अंतिम पहर बीत रहा था। लेकिन कोई अपनी जगह से हिलने को तैयार नहीं था। सब जैसे सांस रोके बैठे थे और बंदर महाराज की कहानी सुन रहे थे। खुद ऐश को भी भारी अचंभा हो रहा था कि ये सब घट गया और उसे पता तक न चला। उसे अपने रॉकी की याद भी बेसाख्ता आ रही थी। वो अब न जाने कहां होगा, किस हाल में होगा, क्या पता अब उससे कभी मिलना हो भी सकेगा या नहीं। काश, एक बार किसी तरह वो यहां आ जाता, या फिर ऐश ही उड़कर उसके पास पहुंच सकती।