दिन पर दिन बीतते गए, पीहू अपने काम मैं इतना खो चुकी थी की उसे अपने खाने पीने का भी खयाल नहीं था, इधर अभिमन्यु भी अपने जिंदगी मैं busy था , उसे न पीहू याद थी और नहीं पीहू का खयाल था । अर्जुन भी अपने जिंदगी मैं busy था पर कंही न कंही उसके मन मैं एक अफसोस था काश उस दिन उससे वो गलती न हुई होती तो पीहू आज उसके पास होती । सर्दी का मौसम आ चुका था, अभी तो बस रात के 9 ही बजे थे, पर रास्ता एक दम सुन सान था चारो