"अनिका?" एक आदमी की आवाज़ से अनिका अपनी गहरी सोच से बाहर आ गई। अनिका ने दरवाज़े की तरफ देखा तो नाथन खड़ा था और उसे चिंतित नज़रों से देख रहा था। "लगभग आठ बज चुके हैं, अनिका। तुमने लंच भी नही किया था। तुमने पूरे दिन में सिर्फ फल ही खाएं हैं। मैं तुम्हारे लिए जल्दी से डिनर पैक करवा कर ले आया हूं क्योंकि तुम्हे कहीं रुक कर खाने में या घर जा कर बनाने में परेशानी होगी क्योंकि तुम बहुत थकी हुई लग रही हो।"अनिका ने हां में सिर हिला दिया। "थैंक्स, नाथन।" अनिका ने खाने के