(31)नंदिता को गुस्सा आ रहा था। उसे लग रहा था कि सिर्फ मकरंद की वजह से उसे इतना सुनना पड़ रहा है। अगर उसे बात बुरी लगी थी तो उसे ज़ाहिर करने का यह क्या तरीका हुआ। उसे रुकना चाहिए था। जब वह ऊपर जाती तो बात करनी चाहिए थी। अब वह क्या करे ? कहाँ ढूंढ़े उसे ? फोन भी लेकर नहीं गया है। पता नहीं किस हाल में होगा ? उसने सोचा कि जब मकरंद लौटकर आएगा तो उससे पूछेगी कि उसने ऐसा क्यों किया।नंदिता के पापा ने कहा,"अब तो बहुत देर हो गई है ? बताओ क्या