माया राजेन्द्र से अलग होकर दरवाजा खोलने के लिए आ तो गयी।लेकिन उसे अस्त व्यस्त अवस्था मे देखकर सुधीर के मन मे सन्देह का बीज फूट गया।सुधीर ने पत्नी से साफ साफ तो कुछ नही कहा पर घुमा फिराकर सब कुछ कह दिया।पति की बात का माया पर कोई असर नही पड़ा।राजेन्द्र के प्यार में वह ऐसी पागल हो चुकी थी कि जो माया पति की हर बात आंख मूंद कर स्वीकार कर लेती थी।वह माया पति की बात पर ध्यान देने के लिए तैयार नही थी।घर से बेखबर हर समय अपने धंधे की सोचने वाला सुधीर शक होने पर