हमने दिल दे दिया - अंक १४

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जन्मदिन      रात का समय था | समय रात के लगभग लगभग ११ बजकर ३० मिनिट हुए थे और सारे दोस्त दिव्या के जन्मदिन को मनाने के लिए तैयार थे लेकिन सबकी चिंता थी ख़ुशी क्योकी ख़ुशी को रात के ११:३० बजे उसके घर से निकालकर जादवा परिवार की उस हवेली में ले जाना जहा जाने के लिए जादवा परिवार ने मना किया हुआ है | सबसे बड़ा रिश्क तो यही था की जादवा परिवार की लड़की को रात में कही बहार अपने साथ ले जाना अगर इसका पता या भनक एक बार भी मानसिंह जादवा को लग जाये