सपने.......(भाग-48)आस्था अपने कमरे में जा कर बहुत देर तक रोती रही, क्योंकि वो भी कहाँ आदित्य के बिना रहने का सोच सकती थी, पर उसका फैसला अडिग था। आदित्य भी अपने कमरे में परेशान होता रहा, ये तो नहीं था कि उसे आस्था से प्यार नहीं था या उसकी फिक्र नहीं थी। फिर वो भी अपनी जिद पर अड़ा ही रहा। दोनों एक दूसरे को समझते हुए भी नासमझ बने बैठे थे। आस्था उस दिन को कोस नहीं रही थी क्योंकि जो भी हुआ दोनो की मर्जी से हुआ, पर आगे क्या होगा ये चिंता होना भी वाजिब था, उसके