अनूठी पहल - 8

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- 8 - दमयंती प्रभुदास को कई बार कह चुकी थी कि वह उसके ससुराल आए, किन्तु दुकान पर अकेला होने की वजह से वह जा ही नहीं पाता था। इस बार रक्षाबंधन के अवसर पर चन्द्रप्रकाश घर पर था, इसलिए उसने दुकान की ज़िम्मेदारी उसे सौंपी और एक रात के लिए दमयंती को मिलने चला गया।  प्रभुदास बहन के ससुराल वालों के लिए बहुत-से उपहार लेकर गया। बहन और उसके ससुराल वालों ने उसका खूब स्वागत किया। दमयंती के सास-ससुर ने उसे ज़िला प्रशासन द्वारा सम्मानित किए जाने पर बधाई दी। दूसरे दिन सुबह उसका बहनोई विजय उसे सैर