अनूठी पहल - 4

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- 4 - आढ़त का काम करने के लिए जो दुकान किराए पर ली गई थी, उसके ऊपर दो कमरे बने हुए थे। काम शुरू करने के उपरान्त रामरतन ने अपना बोरिया-बिस्तर उन्हीं कमरों में जमा लिया था। जब वह धर्मशाला में रहता था तो वहाँ एक पन्द्रह-सोलह साल की युवती रहती थी जोकि मुलतान से उजड़कर आई थी। उसका भी कोई संगी-साथी नहीं था। साझी रसोई में सहायता करने के अलावा बाक़ी समय में वह गुमसुम रहती थी, किसी से अधिक बातचीत नहीं करती थी। रामरतन ने एक बार किसी को कहते सुना था कि दंगाई उसके साथ दुष्कर्म