बहू बेटी

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जब से वे सपना की शादी करके मुक्त हुईं तब से हर समय प्रसन्नचित्त दिखाई देती थीं। उनके चेहरे से हमेशा उल्लास टपकता रहता था। महरी से कोई गलती हो जाए, दूध वाला दूध में पानी अधिक मिला कर लाए अथवा झाड़ू- पौंछे वाली देर से आए, सब माफ था। अब वे पहले की तरह उन पर बरसती नहीं थीं। जो भी घर में आता, उत्साह से उसे सुनाने बैठ जातीं कि उन्होंने कैसे सपना की शादी की, कितने अच्छे लोग मिल गए, लड़का बड़ा अफ़सर है, देखने में राजकुमार जैसा। फिरभी एक पैसा दहेज का नहीं लिया। ससुर तो