प्रिय मानव ,,आज की आधुनिकता भरी जिंदगी में लोग सत्कर्म के बारे में सोचते भी नहीं हैक्योंकि आज के संसाधन देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे पास सब कुछ है "लेकिन जो नहीं है उसकी प्राप्ति के लिए हम अनेकों प्रयास करते है लेकिन भगवान को भूलकर ।"हम अपने माता पिता को सर्वोच्च स्थान इसीलिए नहीं देते क्योंकि भगवान का चक्कर ही हमें नहीं मालूम ।जबतक ईश्वर या प्रकृति यानि की जिसने इस संसार का निर्माण किया है अगर हम उसके लिए कुछ नहीं करते तो हम कई जन्म तक ऋणी रहते है, लेकिन हमें ये मालूम ही नहीं