चीर हरण

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वो प्रसन्न थे। शिक्षक की नौकरी से हाल ही में सेवा निवृत्त हुए थे। जीवन की सभी जिम्मेदारियां पूरी कर चुके थे। बच्चों को पढ़ा - लिखा कर योग्य बना दिया था और उनके विवाह भी कर दिए थे। बच्चे अपनी- अपनी नौकरी करते हुए अलग - अलग शहरों में खुश थे। तीज - त्यौहार पर आना- जाना भी था। उन्हें पेंशन मिलती ही थी। गुजारा आराम से होता। दो प्राणियों का खर्च ही कितना होता था। पत्नी भी योग्य और सेवा- भावी थी। आदर- सम्मान भी खूब था क्योंकि अपने समय के आदर्श शिक्षक रहे। हर बच्चे को अपना