वो अपनी मौत दोहरा रही थी। लेकिन लिली कहां समझ पाई थी कि ये जो उसने अभी अभी देखा है वो तो कई सालों पहले बीत चुका था। वो दौड़कर कुएं के किनारे गई उसने हर तरफ़ आवाज़ दी, घर के भीतर के भीड़ को भी बहुत पुकारा लेकिन सभी तो पूजा में व्यस्त थे। चाह कर भी तो लिली कुछ कर नहीं पा रही थी। किसी चीज़ को हाथ लगाती तो वो चीज़ रेत की तरह उसके हाथो से फिसल जाती। वो चिल्ला रही थी लेकिन उसकी आवाज़ जैसे उसके भीतर ही कहीं घुटकर रह जाती, और फ़िर कुछ