प्रिय डॉलर,प्रिय रोज़गार ,प्रिय काला धन,दिल तो जला हुआ है, फिर भी प्रिय लिख रहा हूँ। जब भी हम सीना फुलाते हैं, तुम सीन में आ जाते हो। लोग चीखने लग जाते हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमज़ोर हो गया। अपने मोहल्ले में हमारी बड़ी धाक है। सभी को लगता है कि हम ही मज़बूत हैं। हर बात में तुम्हीं को हराना ज़रूरी है क्या? यह ग़लत तरीका है। तुमको मज़बूत होना है तो अपने देश में जाकर होते रहो, यहां हमारे कपार पर आकर मत नाचा करो। तुम रूबलवा को हराओ न। प्रिय डॉलर, एक बात ध्यान से