मेरे मन की उत्साह उसके हाथ में लिए हुए गुलाब की सुगन्ध से और बढ़ गया था। मैं अपने पूरे दिल को खुशी के पंखों से उड़ता हुआ महसूस करने लगी। "क्या तुम यहाँ अकेले बैठे हो?" "आप मेरे साथ हो और मैं अकेला कैसे हो गयी?" मैंने उसके सवाल का जवाब दिया। "नहीं, नहीँं मेरा मतलव मेरे आने से पहले ?" अयान वापस हँसा। "आपके आने से पहले आपका फोन आया था ।" मन ने आगे कहा, "और आप का याद भी। जब तक मैं आप को याद करती हूं, मैं कभी अकेली नहीं रहूंगी।"मेरे मन की आवाज सिर्फ