ज़िद्दी इश्क़ - 12

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"तुम्हे इसके इलावा आता ही क्या है।" माहेरा ने गुस्से से उसे घुरते हुए कहा। "मतलब तुम मुझ से बिना सवाल जवाब किये रह ही नही सकती ना।" माज़ ने उसके होंठो की तरफ देखते हुए कहा और उसका गला हल्का सा दबा कर छोड़ते हुए कहा और साथ ही उसकी बची कूची सांसे अपनी सांसो में कैद करली। माहेरा उसे धकेलने की नाकाम कोशिश कर रही थी लेकिन माज़ की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि माहेरा ने थक हार कर कोशिश करना बंद कर दिया। माज़ उससे दूर हुआ और माहेरा का गुस्से से लाल चेहरा देखते हुए फ्रेश