हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातान्त्रिक संघ (HSRA) के कमाण्डर इन चीफ़ महान स्वतन्त्रता संग्रामी *चन्द्रशेखर आज़ाद* के जन्मदिवस (23 जुलाई) के अवसर परचन्द्रशेखर आज़ाद – ग़रीब मेहनतकश जनता की क्रान्ति-चेतना के प्रतीक थे!“दुश्मनों की गोलियों का हमसामना करेंगेआज़ाद ही रहे हैंआज़ाद ही रहेंगे।”अपने साथियों के एक जमावड़े के बीच किसी प्रसंग में चन्द्रशेखर आज़ाद ने ये पंक्तियाँ सुनायी थीं। कविता की ये साधारण पंक्तियाँ नहीं थीं। आजाद का अपने साथियों से यह वादा था, जिसे उन्होंने 27 फरवरी 1931 को पूरा कर दिखाया। गोरे दुश्मनों की गोलियों का सामना करते हुए वे शहीद हो गये। जीते-जी अंग्रेज उनको हाथ तक नहीं लगा