कहानी - मोतीचूर के लड्डू चकनाचूर “ अरे , सुनो . छाता तो लेते जाओ . “ दीपक की पत्नी ने कहा “ आज तो मौसम साफ है ,बेकार का छाता ढोना पड़ेगा . कहीं खो जाने का भी डर रहता है . “ “ कल भी मौसम साफ़ था , पर अचानक दोपहर बाद से बारिश होने लगी थी और तुम भीगते हुए घर आये थे . याद है न . “ “ अच्छा बाबा , लाओ