भाग - 14 "भ्रम" पिछले भाग में आपने पढ़ा, जयंत एक गड्ढे में कूद गया था, जिसकी गहराई जयंत की कल्पना से कोसो दूर थी। जयंत जिस चीज पर गिरा था वह क्या थी??? आइये देखते हैं.. वहां का माहौल यूँ था कि लोग रजाई ओढ़ कर और आग जला कर भी बैठते तब भी दांत किटकिटाते रहते और देह थरथराती रहती। मगर जयंत..जयंत के माथे से तो पसीना चू रहा था। हाँ! मगर उसकी पलके जरूर झपकना भूल गईं थीं। "अहा..मेरा भोजन! बहुत दिन बाद इतना स्वादिष्ट भोजन जुबान पर चढ़ेगा।" एक बहुत ही भयानक आवाज जयंत के कानों